सेंट्रल हॉल में ‘भावुक’ जनता पार्टी
सेंट्रल हॉल के 98 फीट के गुंबद के नीचे मोदी की 56 इंच की छाती
में भावुकता का भूचाल आ गया..पहली बार सेंट्रल हॉल ने मोदी को देखा था..और मोदी ने
भी पहली बार ही सेट्रल हॉल में कदम रखा था..अपने अटल को याद करते हुए मोदी का मन
भर आया..ऊपर से आडवाणी के कृपा शब्द ने मोदी की आंखों का बांध तोड़ दिया..
मोदी भावुक हुए तो बाकी सांसद भी भावनाओं को रोक नहीं
पाए..बीजेपी ने अपने पूरे काल चक्र में पहली बार ऐतिहासिक सफलता का स्वाद चखा
है..लिहाजा हॉल में बैठी हर आंख नम थी...यकीनन ये खुशी के ही आंसू थे..लेकिन
बीजेपी का मन ये सोचकर भी रो रहा था कि दशकों बाद देश ने बीजेपी को सेवा का सामर्थ्य
दिया है..
नरेंद्र मोदी वैसे तो अपनी बुलंद आवाज और अकाट्य तर्कों के लिए
जाने जाते हैं लेकिन संसद में आते हुए पहले तो मोदी ने संसद की सीढ़ियों पर सर
नवाया..फिर भीतर आडवाणी के पैर छुए..फिर बनते हुए इतिहास में पार्टी के भूत के
भूतकाल को याद करते हुए सब भावुक हो गए..देश का प्रधानमंत्री रो रहा था..सांसद रो
रहे थे और बहते हुए आंसू दर्ज होते जा रहे थे इतिहास के पन्नों में क्योंकि दशकों
पुराने सेंट्रल हॉल में सबकुछ पहली बार ही तो हो रहा था..जिस सेंट्रल हॉल ने
संविधान बनते देखा जिस सेंट्रल हॉल ने विरोधी पार्टियों की तू तू मैं मैं
देखा..वही सेंट्रल हॉल सियासत की डबडबाई आंखों का गवाह भी बन गया...
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